लोग अक्सर अपना चेहरा शीशें में देखते हैं. मैं अपना चेहरा पन्नों में खोजता हूं. शीशे में जो चेहरा दिखता है,वह झूठ भी बोल सकता है. पन्नों में पढा हुआ चेहरा दगा नहीं दे सकता.
“बच्चन” जी से अपने ब्लाग का शुभारंभ कर रहा हूं.
“ प्यार किसी से करना लेकिन
कहकर उसे बताना क्या,
देकर ह्रदय , ह्रदय पाने की
आशा व्यर्थ लगाना क्या.”
- हरिवन्श राय “बच्चन”
Bahut sunder panktiyon se shuruaat kar rahe hain..... bahut sunder .... shubhkamnayen
मोनिका जी आपका धन्यवाद.
ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है. बहुत अच्छी पंक्तियाँ हैं बच्हन जी की . शुभकामना सहित!
आपका स्वागत है !
बहुत खूब....नए ब्लॉग की बधाइयाँ. _________________'शब्द-शिखर' पर पढ़िए भारत की प्रथम महिला बैरिस्टर के बारे में...
naye blog ke liye mubarakbaad .
आरंभ बहुत अच्छा है। हिन्दी ब्लाग जगत में आप का स्वागत है।
कम शब्दों में बडी बात. यूँ ही प्रेरणाएँ बिखेरते रहें ।
बहुत खूब !ब्लॉग की दुनिया में आपका स्वागत है |
.................बहुत खूब !
Bahut sunder panktiyon se shuruaat kar rahe hain..... bahut sunder .... shubhkamnayen
ReplyDeleteमोनिका जी आपका धन्यवाद.
ReplyDeleteब्लॉग जगत में आपका स्वागत है. बहुत अच्छी पंक्तियाँ हैं बच्हन जी की . शुभकामना सहित!
ReplyDeleteआपका स्वागत है !
ReplyDeleteबहुत खूब....नए ब्लॉग की बधाइयाँ.
ReplyDelete_________________
'शब्द-शिखर' पर पढ़िए भारत की प्रथम महिला बैरिस्टर के बारे में...
naye blog ke liye mubarakbaad .
ReplyDeleteआरंभ बहुत अच्छा है।
ReplyDeleteहिन्दी ब्लाग जगत में आप का स्वागत है।
कम शब्दों में बडी बात. यूँ ही प्रेरणाएँ बिखेरते रहें ।
ReplyDeleteबहुत खूब !
ReplyDeleteब्लॉग की दुनिया में आपका स्वागत है |
.................बहुत खूब !
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